जो किसी के काम न आ सके मैं वो एक मुश्त-ए-ग़ुबार हूँ
न तो मैं किसी का हबीब हूँ न तो मैं किसी का रक़ीब हूँ
जो बिगड़ गया वो नसीब हूँ जो उजड़ गया वो दयार हूँ
मेरा रंग-रूप बिगड़ गया मेरा यार मुझ से बिछड़ गया
जो चमन फ़िज़ाँ में उजड़ गया मैं उसी की फ़स्ल-ए-बहार हूँ
पढ़े फ़ातेहा कोई आये क्यूँ कोई चार फूल चढाये क्यूँ
कोई आके शम्मा जलाये क्यूँ मैं वो बेकसी का मज़ार हूँ
मैं नहीं हूँ नग़्मा-ए-जाँफ़िशाँ मुझे सुन के कोई करेगा क्या
मैं बड़े बरोग की हूँ सदा मैं बड़े दुख की पुकार हूँ
0 बहादुर शाह ज़फ़र
बहुत खूबसूरत गज़ल का चयन किया है ..
जवाब देंहटाएंpadha hua tha ,magar yahan baat kuch aur rahi ,bahut khoob .
जवाब देंहटाएंलोगों के मन से बहुधा निकलती है, जफ़र की यह गज़ल।
जवाब देंहटाएंbade dino ke baad darshan huye aapke lekin jo bhi huya achey huye....
जवाब देंहटाएंकमाल है जी , कित्ती सुँदर ग़ज़ल . बाटने के लिए शुक्रिया .
जवाब देंहटाएंउम्दा ग़ज़ल...पेश करने के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंक्या लाजवाब बिम्ब प्रयुक्त किये हैं आपने...
जवाब देंहटाएंमनमोहक ,बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल...वाह!!!!
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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जय हिंद जय हिंदी राष्ट्र भाषा
ओह!तुमने पोस्ट भी की है...हमने तो फेसबुक पर ही अपनी बात कह दी...
जवाब देंहटाएंBTW तुम्हारी तस्वीर भी बहुत सुन्दर लग रही है...खोई खोई सी
यह तो हमें भी पसंद है।
जवाब देंहटाएंयह तो मशहूर गजल है -हमें भी पसंद ....वैसे जो आपको पसंद हो वो हमें भी है :)
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है कृपया पधारें
जवाब देंहटाएंचर्चामंच-638, चर्चाकार-दिलबाग विर्क
मेरी भी पसंदीदा गज़ल है ये।
जवाब देंहटाएंबेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल है
जवाब देंहटाएंशुक्रिया !!!
♥
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और
शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
मैं तो भूल ही गया था इस ब्लॉग को। यहां तो अद्भुत साहित्य का संकलन हैं।
जवाब देंहटाएंBehtarin gazal
जवाब देंहटाएंlaazwaab ghazal.. behatarin... thanks for sharing...
जवाब देंहटाएंAlok Upadhayay