बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

मेरी पसंद....

लीक पर वे चलें.....
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Sarveshwar Dayal Saxena

लीक पर वे चलें जिनके
चरण दुर्बल और हारे हैं
हमें तो जो हमारी यात्रा से बने,
ऐसे अनिर्मित पन्थ प्यारे हैं

साक्षी हों राह रोके खड़े
पीले बाँस के झुरमुट
कि उनमें गा रही है जो हवा
उसी से लिपटे हुए सपने हमारे हैं

शेष जो भी हैं-
वक्ष खोले डोलती अमराइयाँ
गर्व से आकाश थामे खड़े
ताड़ के ये पेड़;
हिलती क्षितिज की झालरें
झूमती हर डाल पर बैठी
फलों से मारती
खिलखिलाती शोख़ अल्हड़ हवा;
गायक-मण्डली-से थिरकते आते गगन में मेघ,
वाद्य-यन्त्रों-से पड़े टीले,
नदी बनने की प्रतीक्षा में, कहीं नीचे
शुष्क नाले में नाचता एक अँजुरी जल;
सभी, बन रहा है कहीं जो विश्वास
जो संकल्प हममें
बस उसी के ही सहारें हैं ।

लीक पर वें चलें जिनके
चरण दुर्बल और हारे हैं,
हमें तो जो हमारी यात्रा से बने
ऐसे अनिर्मित पन्थ प्यारे हैं ।

-सर्वेश्वरदयाल सक्सेना


21 टिप्‍पणियां:

  1. http://ravikumarswarnkar.files.wordpress.com/2009/04/11.jpg
    वैसे इन दो कविताओं में प्रत्यक्ष सम्बन्ध नही है .. फिर भी...

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  2. यह कविता पढ़वाने के लिए शुक्रिया.
    बहुत बहुत शुक्रिया...

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  3. बहुत सुन्दर। लगता है रॉबर्ट फ्रॉस्ट को पढ़ रहा हूं।

    सर्वेश्वर दयाल सक्सेना को पढ़ूंगा गम्भीरता से। देखता हूं नेट पर कितना उपलब्ध है उनका लिखा।

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  4. लीक छोड़ तीनो चले सागर सिंह सपूत !

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  5. लीक छोड़ तीनो चले सागर सिंह सपूत !

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  6. वंदना जी, आदाब
    लीक पर वें चलें जिनके
    चरण दुर्बल और हारे हैं,
    हमें तो जो हमारी यात्रा से बने
    ऐसे अनिर्मित पन्थ प्यारे हैं..
    प्रेरक पंक्तियां...
    दिल को छूने वाली हैं..
    श्रेष्ठ चयन के लिये आभार

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  7. अभी दो-चार दिन पहले मैं इब्‍नबतूता का जूता देखने के लिए कविताकोश पर सर्वेश्‍वर दयाल सक्‍सेना जी को खोजा । खैर इब्‍नबतूता से पहले ही वहॉ उनकी बहुत सारी कविताऍं मिल गई , जो मिलती गई पढता गया ।

    इसके पहले पाठ्य पुस्‍तक में पढा था ।
    बिल्‍कुल सम्‍मोहित कर लिया कविताओं ने । जैसे "उठ मेरी बिटिया सुबह हो गई" "व्‍यंग मत " "खूँटियों पर टंगे हुए लोग " गज्‍जब लिखते हैं कितनी गिनाऊं । कविता कोश में सक्‍सेना जी की बहुत सारी कविताऍं हैं ।

    एक बेहतरीन कविता तो आपने यहॉं दे ही दी ।

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  8. aapki pasand hamari bhi pasand hai ,bahut sundar rachna ,padhkar man khush hua .

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  9. ०- धन्यवाद लवली जी.
    ०- धन्यवाद अनिलकन्त जी.
    ०- धन्यवाद हृदयपुष्प जी.
    ०- धन्यवाद ज्ञान जी.
    ०- धन्यवाद मनोज जी
    ०- धन्यवाद रानी जी.
    ०- धन्यवाद अरविन्द जी.
    ०- धन्यवाद संगीता जी.
    ०- धन्यवाद विनोद जी.
    ०- धन्यवाद शाहिद जी.
    ०- धन्यवाद अर्कजेश जी.
    ०- धन्यवाद इस्मत जी.
    ०- धन्यवद ज्योति जी.
    आप सब की आभारी हूं. सक्सेना जी का लेखन सचमुच इतना प्रभावी है, कि इससे अछूता नहीं रहा जा सकता.

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  10. आपकी पसन्द की सराहना करता हूँ!
    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें!

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  11. इतनी सुंदर रचना बांटने के लिए आभार.

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  12. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें!

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  13. ऐसी प्रेरक रचना प्रस्तुत करने पर आपका धन्यवाद।

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  14. bahut sunder bhavo ko sanjoye hai ye kavita ........
    Bahut pasand aaee .
    Dhanyvad .

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