कोई मुम्बई जाये और हाजी अली की दरगाह पर ना जाये ऐसा हो सकता है क्या? हम भी पूरे भक्ति भाव से दरगाह पर गये। समन्दर के बीच स्थित यह दरगाह सिद्ध दरगाहों में से एक मानी जाती है। समन्दर के पानी को काट कर बनाया गया यह पवित्र स्थल लोगों ने इतना अपवित्र कर रखा है, कि दरगाह के प्रवेश द्वार से ही हर व्यक्ति को नाक बंद करनी पडती है। कचरा देख कर अफ़सोस होता है। प्रतिदिन जिस स्थान पर हज़ारों दर्शनार्थी मन्नत मांगने दूर-दूर से आते हों,उस स्थान की सफ़ाई व्यवस्था पर ध्यान देना ज़रूरी नहीं है क्या? यह तस्वीर तो मुझे मजबूरन उतारनी पडी, कम से कम कुछ लोग तो शर्मिन्दा हो सकें ,अपने द्वारा फैलाई गई इस गन्दगी को देखकर....
अच्छी पोस्ट....
जवाब देंहटाएंएक बहुत अच्छा प्रयास....
जवाब देंहटाएंकोई तो शर्मिंदा होगा....
कुंवर जी,
जिम्मेदार लोगों के कानों तक यह बात पहुँचे तब बात बने।
जवाब देंहटाएंप्रमोद ताम्बट
भोपाल
sahi kah rahi hain aap
जवाब देंहटाएंese paak sthan ko saaf nahi rakh sakte ham to lanat hai .
बड़ा खराब लगा यह देख कर ।
जवाब देंहटाएंफिर भी हालात नहीं बदलती
जवाब देंहटाएंसटीक बात...काश लोग और सरकार ये समझ सकें
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा आपने -बरसों से यही हाल है !
जवाब देंहटाएंक्या कहे कही भी सफ़ाई नही दिखती.... हम लोगो को आदत है गंदगी मै रहने की.
जवाब देंहटाएंहम्म बात तो बहुत सही कही आपने...पर अब हाजी अली दरगाह तक भी सी-लिंक बनाने की योजना है...देखो..कब तक पूरा होता है.तब शायद साफ-सफाई नज़र आए.
जवाब देंहटाएंऔर किसी ने कहा था कि वे शायद घंटे दो घंटे के लिए ही मुंबई में रुकने वाली हैं,बस ट्रेन चेंज करने को.hmmm...more hmm...sme more...hmmmm
@ रश्मि. हम सुबह साढे चार बजे पहुंच गये थे. अगली ट्रेन एक बजे थी. तो सोचा कि चलो दरगाह पर हाज़िरी बजा आयें.:)
जवाब देंहटाएंओह !! चलो माफ़ किया...पर ये ट्रेन दूसरे दिन एक बजे की क्यूँ नहीं थी :)
जवाब देंहटाएंhamaare desh kaa bhrashtaachaar aur badhti aabaadi dono hi in samasyaao ki mool jad he. kisi bhi sarkaar ne dono ko kam karne kaa koi thos prayaas nahin kiyaa. ladkaa hone ki chaahat ne naash kar diyaa.
जवाब देंहटाएंsatyendra
यह महानगर है तो इसमें तो सभी बाते महा ही होंगी!
जवाब देंहटाएंमगर आजकल तो हर छोटे बड़े शहर का यही हाल है!
बड़ी समस्या है ये ...शायद समाधान भी बड़े स्तर पर होना चाहिए..चित्र से ही हालात साफ़ दिख रहे है
जवाब देंहटाएंवंदना ,
जवाब देंहटाएंसिर्फ अपने को ही सुधारने की जरूरत है, अगर इंसान खुद को देख ले तो कई तो आपको देख कर ही संभल जायेंगे. पर काश हम खुद ही आइना देख पाते तो दूसरों को देखने की नौबत ही नहीं आती. इसको गलत मत लेना. हम में वे सभी आते हैं जो गंदगी फैलाते हैं.
वंदना ,मैं रेखा जी से पूर्णतया सहमत हूं ,अगर हम ख़ुद सुधर जाएं और अपने देश से प्यार करने लगें तो ये सारी समस्याएं ख़ुद ही हल हो जाएंगी
जवाब देंहटाएंयह मुंबई की पुराणी कहानी है .हर अच्छी जगह पे एक ब्लैक स्पोट का होना. यह मुंबई की मजबूरी भी है.नागरिक को खुद ही जागरूक होना होगा.
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