बसन्त
और बसन्त फिर आ रहा है
शाकुन्तल का एक पन्ना
मेरी अलमारी से निकलकर
हवा में फरफरा रहा है
फरफरा रहा है कि मैं उठूँ
और आस-पास फैली हुई चीज़ों के कानों में
कह दूँ 'ना'
एक दृढ़
और छोटी-सी 'ना'
जो सारी आवाज़ों के विरुद्ध
मेरी छाती में सुरक्षित है
मैं उठता हूँ
दरवाज़े तक जाता हूँ
शहर को देखता हूँ
हिलाता हूँ हाथ
और ज़ोर से चिल्लाता हूँ –
ना...ना...ना
मैं हैरान हूँ
मैंने कितने बरस गँवा दिये
पटरी से चलते हुए
और दुनिया से कहते हुए
हाँ हाँ हाँ...
केदारनाथ सिंह
वाह ! आपकी पसंद तो हमेशा ही बेहतरीन होती है . बहुत बहुत धन्यवाद केदारनाथ जी की की इस रचना को प्रस्तुत करने के लिए ...
जवाब देंहटाएंमखमल की चुभन
बहुत बढ़िया पसंद है, मेरी भी कुछ ऐसी ही पसंद है.
जवाब देंहटाएंvandana ji...
जवाब देंहटाएंwaise na kehna itna bhi aasan nahi hota!!
khoobsurat prastuti
पता नहीं कितने बरस निकल गये हा हा, ही ही में।
जवाब देंहटाएंकेदारनाथ जी की यह कविता पढने का अवसर देने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंसादर
आपकी पसंद तो बस लाजबाब है....
जवाब देंहटाएंकभी ना कभी एक बार सबके मन में ये भाव आते ही हैं.
जब जागें , तभी सवेरा।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना प्रस्तुत की है वंदना जी...
जवाब देंहटाएंआपकी पसंद लाजवाब है, बधाई.
बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंआपने केदारनाथ सिंह की बहुत सुन्दर रचना को लगाया है!
जवाब देंहटाएंआभार इसे पढ़वाने के लिए!
बहुत सुंदर रचना जी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंतुम और तुम्हारी पसंद दोनों का जवाब नहीं
जवाब देंहटाएंशाकुन्तलम का अभिज्ञान.
जवाब देंहटाएंक्रिसमस की शांति उल्लास और मेलप्रेम के
जवाब देंहटाएंआशीषमय उजास से
आलोकित हो जीवन की हर दिशा
क्रिसमस के आनंद से सुवासित हो
जीवन का हर पथ.
आपको सपरिवार क्रिसमस की ढेरों शुभ कामनाएं
सादर
डोरोथी
बहुत सुंदर रचना जी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवंदना जी,
जवाब देंहटाएंकेदार नाथ जी की कविता पढ़वाने के लिए आभार !
नव वर्ष की अग्रिम बधाई स्वीकार करें !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
केदारनाथ सिंह की रचना को पढ़वाने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंअनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
साहित्य की उत्कृष्ट रचना से
जवाब देंहटाएंसाक्षात्कार करवाने पर आभार स्वीकारें
इस्मत जी की टिप्पणी अनुमोदन मांगती है ... !!
नव वर्ष 2011 की मंगल कामनाएं .
नववर्ष की मंगल कामनाएं स्वीकार करें । आपको सपरिवार मंगल कामनाएं अर्पण करता हूँ ,स्वीकार हों । - आशुतोष मिश्र
जवाब देंहटाएंवाह सुन्दर कविता केदारनाथ जी की..
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति के लिए धन्यवाद..
आभार
आपके द्वारा प्रस्तुत केदारनाथ जी की कविता सामयिक रही.नव-वर्ष २०११ आपको तथा आपके समस्त परिवार के लिए उज्वल,सुन्दर और सुखद भविष्य -प्रदाता हो ऐसी हमारी कामना है.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना प्रस्तुत की है|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंवंदना जी, केदारनाथ सिंह जी की इस ऐतिहासिक रचना को हम तक पहुंचाने का शुक्रिया।
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पति को वश में करने का उपाय।
केदार नाथ जी की तो बात ही अलग है । मेरा ब्लॉग: मिनिस्टर का लड़का फ़ैल हो गया । क्या वह उसे गोली मार देगा । पूरी कहानी पढ़ें और कमेन्ट भी करें
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