सोमवार, 2 जुलाई 2012
कोई तो शर्मिंदा हो....
मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012
श्रद्धान्जलि......
शहरयार : एक परिचय
16 जून 1936-13 फरवरी, 2012
वास्तविक नाम : डॉ. अखलाक मोहम्मद खान
उपनाम : शहरयार
जन्म स्थान : आंवला, बरेली, उत्तरप्रदेश।
प्रमुख कृतियां : इस्म-ए-आज़म (1965), ख़्वाब का दर बंद है (1987), मिलता रहूंगा ख़्वाब में।
अख़लाक़ मोहम्मद ख़ानविविध : 'उमराव जान', 'गमन' और 'अंजुमन' जैसी फिल्मों के गीतकार । साहित्य अकादमी पुरस्कार (1987), ज्ञानपीठ पुरस्कार (2008)। अलीगढ़ विश्वविद्यालय में उर्दू के प्रोफेसर और उर्दू विभाग के अध्यक्ष रहे।
घर की तामीर तसव्वुर ही में हो सकती हैअपने नक़्शे के मुताबिक़ यह ज़मीं कुछ कम हैबिछड़े लोगों से मुलाक़ात कभी फिर होगीदिल में उम्मीद तो काफ़ी है, यकीं कुछ कम हैअब जिधर देखिये लगता है कि इस दुनिया मेंकहीं कुछ चीज़ ज़ियादा है कहीं कुछ कम हैआज भी है तेरी दूरी ही उदासी का सबबयह अलग बात कि पहली सी नहीं कुछ कम है
सोमवार, 6 फ़रवरी 2012
संत रविदास
मध्ययुगीन साधकों में संत रैदास का विशिष्ट स्थान है। निम्नवर्ग में समुत्पन्न होकर भी उत्तम जीवन शैली, उत्कृष्ट साधना-पद्धति और उल्लेखनीय आचरण के कारण वे आज भी भारतीय धर्म-साधना के इतिहास में आदर के साथ याद किए जाते हैं।
संत रैदास भी कबीर-परंपरा के संत हैं। संत रैदास या रविदास के जीवनकाल की तिथि के विषय में कुछ निश्चित रूप से जानकारी नहीं है। इसके समकालीन धन्ना और मीरा ने अपनी रचनाओं में बहुत श्रद्धा से इनका उल्लेख किया है। ऐसा माना जाता है कि ये संत कबीरदास के समकालीन थे। ‘रैदास कीपरिचई’ में उनके जन्मकाल का उल्लेख नहीं है। फिर भी यह कहा जा सकता है कि इनका जन्म पंद्रहवीं शताब्दी में संत कबीर की जन्मभूमि लहरतारा से दक्षिण मडुवाडीह, बनारस में हुआ था। ( संत रविदास का यह परिचय मनोज कुमार जी की पोस्ट- संत रैदास से साभार.)