कोई मुम्बई जाये और हाज़ी अली की दर्गाह पर ना जाये ऐसा हो सकता है क्या? हम भी पूरे भक्ति भाव से दरगाह पर गये। समुन्दर के बीच स्थित यह दरगाह सिद्ध दरगाहों में से एक मानी जाती है। समुन्दर के पानी को काट कर बनाया गया यह पवित्र स्थल लोगों ने इतना अपवित्र कर रखा है, कि दरगाह के प्रवेश द्वार से ही हर व्यक्ति को नाक बंद करनी पडती है। कचरा देख कर अफ़सोस होता है। प्रतिदिन जिस स्थान पर हज़ारों दर्शनार्थी मन्नत मांगने दूर-दूर से आते हों,उस स्थान की सफ़ाई व्यवस्था पर ध्यान देना ज़रूरी नहीं है क्या? यह तस्वीर तो मुझे मजबूरन उतारनी पडी, कम से कम कुछ लोग तो शर्मिन्दा हो सकें ,अपने द्वारा फैलाई गई इस गन्दगी को देखकर....
रविवार, 18 जनवरी 2009
मंगलवार, 13 जनवरी 2009

अब किसी को भी नज़र आती नहीं कोई दरार
घर की हर दीवार पर चिपके हैं इतने इश्तहार।
आप बचकर चल सकें ऐसी कोई सूरत नहीं,
रह्गुज़र घेरे हुए मुरदे खडे हैं बेशुमार।
मैं बहुत कुछ सोचता रहता हूं पर कहता नहीं
बोलना भी है मना, सच बोलना तो दरकिनार.
इस सिरे से उस सिरे तक सब शरीके-ज़ुर्म हैं,
आदमी या तो जमानत पर रिहा है या फरार.
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