और अपनी आंखों को भी अश्कबार मत करना ।
के ख्वाहिशें कभी तुम बेशुमार मत करना।
हरे हैं खेत इन्हें रेगज़ार मत करना ।
के दुश्मनों पे भी तुम छुप के वार मत करना।
इनायतों से मुझे ज़ेर बार मत करना।
ज़मीर अपना मगर दाग़ दार मत करना।
अमल करो न करो शर्मसार मत करना ।
सुनहरे वादे हैं बस ऐतबार मत करना।
बिना पे शक की कभी इश्तहार मत करना ।
(यह ग़ज़ल मेरी परम मित्र इस्मत जैदी की है। ख़ास बात यह है कि लंबे समय तक इस्मत केवल गद्य की विधा में ही लिखती रहीं। तमाम आलेख और कहानियां उनके नाम पर दर्ज हैं। लेकिन इधर कुछ समय से उन्होंने पद्य की विधा में लिखना शुरू किया है और माशा अल्लाह क्या खूब किया है। )
बहुत सुन्दर शेर हैं। पढ़वाने के लिये शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गज़ल है । यहां देने के लिये शुक्रिया ।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गज़ल है
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गज़ल प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंkya kahe shabd nahi hai ...........par itani achchhi rachana padhawane ke liye shukriya ......
जवाब देंहटाएंsub-haan-allah, kyaa baat kahi he. vo sadak bhi denge, paani bhi aur ujaalaa bhi, sunhare vaade he bas atbaar mat karna.
जवाब देंहटाएंKyaa khoob ishaaraa kiyaa he ki - suno sabki aur karo man ki.
Ab aapne inkaa parichy to karwaa hi diya blog ki vidhaa se bas nivedan he ki inhe aise hi jaldi jaldi bulaate rahiye.
Satyendra
वन्दना जी बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है आपका शुक्रिया इतने कमाल के शेर हम तक पहुँचने के लिए. इस्मत जैदी जी को शुभकामनाएं कि वे और सुंदर शेर कहें .
जवाब देंहटाएंek hi lafz............WAAH !
जवाब देंहटाएंइस अंदाज में पहली बार पढ़ा....आखिरी शेर अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंbahut hee khubsurat rachna
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल पढ़वाने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंआप सबने इस्मत की रचना को जिस प्यार और सम्मान से हाथों हाथ लिया है, वह मेरे लिये पारितोषिक जैसा है.आपका यह स्नेह मैंने इस्मत तक पहुंचा दिया है. तहे दिल से शुक्रिया करती हूं आप सबका.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गज़ल.
जवाब देंहटाएंhttp://www.ashokvichar.blogspot.com
वन्दना जी।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अशआरों से रूबरू कराने के लिए,
मुबारकवाद कुबूल करें।
behtareen and umda pesh kiya apne
जवाब देंहटाएंbahut khoob
वंदनाजी, इस्मत को आप अपने ब्लॉग पर ले आयीं, साधुवाद ! वह तो अच्छा लिखती ही है. उसके ये अशार भी बेहतरीन हैं. कुछ समय पहले फ़ोन पर जैदी ने अपनी हिंदी कवितायें भी मुझे सुनायी थीं. आप उससे कहें कि वह स्वयं अपना ब्लॉग बनाये और कविताई के जितने तूफ़ान उसने दबा रखे हैं, उन्हें ब्लॉग पर पसारे. अभी मेरी बधाई तो उस तक पहुंचा ही दें. आ.
जवाब देंहटाएंAti Sundar.
जवाब देंहटाएं{ Treasurer-S, T }
dile khwaish poori hui .raasta kahi se to nikala .nirasha aasha me badali ,baaki baate samajh gayi hogi .shukriya ,behad khoobsurat ismat ki hi tarah .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंतेज धूप का सफ़र
लाजवाब गज़ल बहुत बहुत धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंइस्मत जी को गज़ल लेखन के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिये > शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंवंदना जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार |
अपनी मित्र इस्मत जैदी जी को मेरी तरफ़ से बहुत बहुत मुबारकबाद दीजियेगा |
ओझा जी से पूर्ण रूप से सहमत हूँ कि इस्मत जी को भी अपना ब्लॉग लाना चाहिए |
इतनी सुंदर और अर्थपूर्ण ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद |
शेष शुभ |
vandana ,
जवाब देंहटाएं" ishmat se kahena ki gazal yu hi likhati rahe blki mai to kaheta hu ki unhe is kshetra me aage aana chahiye .bahut khub "
" ishamat ko hamara salam kahena sahi alfaz ka sahi istemal yane ishamat ki ye gazal "
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
वाकई बहुत खूबसूरत है
जवाब देंहटाएंजिंदगी के करीब ले जाती है गजल।
जवाब देंहटाएं( Treasurer-S. T. )
dhanyavad.
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