रविवार, 10 मई 2009

"ऐसी होती है माँ"

तेरे दामन में सितारे हैं, तो होंगे ऐ फलक,
मुझको अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी।

लबों पे उसके कभी बददुआ नहीं होती,
बस एक माँ है जो मुझसे खफा नहीं होती।

ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ सज़दे में रहती है।

( माँ के लिए कही गई मुन्नवर राना की इन पंक्तियों से बेहतर मुझे कोई और रचना नही लगती)

21 टिप्‍पणियां:

  1. मुन्नवर राना जी की माँ पर लिखी हर पंक्तियाँ गजब की हैं.


    मातृ दिवस पर समस्त मातृ-शक्तियों को नमन एवं हार्दिक शुभकामनाऐं.

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  2. विजय जी, समीर जी, मुनव्वर राना इस दौर के एक ऐसे शायर हैं, जिनकी तुलना दुष्यंत कुमार से करें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.

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  3. मदर्स डे पर खूबसूरत प्रस्तुति, बधाई

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  4. सच में माँ से बढ़कर कोई नहीं!

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  5. janaab manavvar rana ji ke khoobsurat kehan ko
    hm sb tk pahunchane ke liye shukriya...
    aapke pakeeza khyalaat se bhi ru-b-ru ho gye
    abhivaadan .
    ---MUFLIS---

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  6. रचना मन को गहराई तक छूती है। माँ तो माँ होती है, उसका कोई बदल नहीं होता। मैं तो जो हूँ ,माँ की बदौलत ही हूँ।

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  7. बहुत ही प्यारी रचना, मन की गहराई तक उतर गई। माँ तो माँ होती है, उसका कोई बदल नहीं होता।

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  8. sahmat hu.
    maa par to munavvar rana ne ek se ek sher likhe hai, sabhi dil ko chhu jane wale aur true.

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  9. maan shabd ko lavzon mein isse acha vyakt karna mushkil hai.

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  10. bhut saare bhavo ko aapne thode se shabdo me bhut sundrta se dhaala hai

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  11. आखिर माँ तो माँ है ना

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