सोमवार, 1 जून 2009

मेरी पसंद के खजाने से...

टूटते लम्हों को मुट्ठी में जकड़ने वालो,
क्या मिलेगा तुम्हें,परछाईं से लड़ने वालो।
उम्र भर बैठ कर रोना कोई आसान नहीं,
अपनी यादें भी लिए जाओ,बिछड़ने वालो.

9 टिप्‍पणियां:

  1. bhut hi achchha likah hai
    sab chale to jate hai par yadain hi rah jati hai jo unka ahasas karati tahti hai or kabhi bhut rulati hai or kabhi hoto par hasi ban kar foot padti hai
    agar yaad bhi le jate to banki kya rah jata ??

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  2. कसा हुआ छंद साघी हुई भाषा, आपने निजानुभूति को सार्थक शब्द दिए हैं . साधुवाद!

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  3. Dard aur aakrosh ka sangam sa lagta hai, jagah kuch jaani pahchani hai.....bahut khoob.

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  4. संध्या जी,अलीम जी,मार्क जी,किशोर जी,आनंद जी,और सिफ़र जी,आप सब का बहुत-बहुत धन्यवाद.

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