जो पहले दिया
वो याद नहीं,
पहले क्या था,
हमें याद नहीं,
तुम थे पर
मेरे साथ नहीं,
तुम्हें लेकर था,
कोई ख़याल नहीं।
वह सफर था
बड़ा अनजाना
यह है शुरुआत नई।
(ज्योति सिंह मेरी अभिन्न मित्र हैं, रचना कर्म उनका पहला शगल है, कोशिश करूंगी की उनकी रचनाएं नियमित आप तक पहुंचा सकूं.)
शुरुआत नयी है तो ईश्वर करे आनंदमयी हो
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.
जवाब देंहटाएंज्योति सिंह अच्छा लिखती हैं. आगे भी इनकी रचना का इंतज़ार रहेगा.
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