ऐसे बीती होली...........
बडा रंगीला त्यौहार है होली!!!! रंगीला?? हां..कभी था. अब तो साल दर साल रंग फीके पडते जा रहे हैं.अब तो कई साल हुए हुरियारों की टोली देखे हुए.. फागों का मौसम तो कब का बीत गया..पता नहीं कहां गये वो ईसुरी की रस भीगी फागें गाने वाले..खैर... अभी कुछ साल पहले तक अडोस-पडोस के लोग, जो उम्र में मुझ से छोटे हैं, होली पर प्रणाम करने और अबीर लगाने तो ज़रूर ही आ जाते थे,लेकिन इस बार तो उन सब का भी पता नहीं...और दिनों की अपेक्षा कुछ ज़्यादा ही सन्नाटा पसरा रहा शहर में.बीच बीच में बच्चों की कुछ टोलियां अरूर होली का अहसास दिलातीं रहीं...
त्यौहारों पर मार केवल मंहगाई की नहीं है,बल्कि तथाकथित आधुनिकता की भी है.पर्व विशेष की पारम्परिकता को यदि दरकिनार कर दिया जाये तो त्यौहार में फिर कुछ बचता ही नहीं.अब आधुनिकता के नम पर ऐसी परम्पराओं को भी खत्म किया जा रहा है,जिनसे समाज को कोई नुक्सान कभी था ही नहीं;बल्कि ये तो जीवन में रस घोलने का काम करती थीं.भारत के रीति-रिवाज़ों को समझने और समझाने में मददगार थीं.अफ़सोस की आज इन त्यौहारों की रीतियों को "रूढियां" कहने वालों की कमी नहीं है, जबकि वास्तविक रूढियां, जिन्हें जड से हटाया जाना चाहिए आज भी अपनी जगह पर मौज़ूद हैं.... कोई संकल्प है हमारे पास इन्हें मिटाने का????
आपके ब्लॉग कि सादगी और बात कहने कि सरलता अच्छी लगी |
जवाब देंहटाएंहै वक्त की कोई शरारत या गई फ़िर उम्र ढ़ल
जवाब देंहटाएंआते नहीं पहले सरीखे अब मजे त्यौहार के
श्यामसखा‘श्याम’
पधारें-गज़ल के लिये http://gazalkbahane.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंhttp://katha-kavita.blogspot.com/ कथा-कविता के लिये
श्यामसखा‘श्याम’
बहुत ही सुन्दर विचार........वास्तव में आज समाज की स्थिति इस प्रकार की हो चुकी हैं कि रूढियों को जड से समाप्त करने की अपेक्षा हम लोग अपनी जडों से ही दूर होते जा रहे हैं.
जवाब देंहटाएंब्लोगिंग जगत में स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंलगातार लिखते रहने के लिए शुभकामनाएं
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
कहानी,लघुकथा एंव लेखों के लिए मेरे दूसरे ब्लोग् पर स्वागत है
आप सबने जिस खूबसूरती के साथ मेरे ब्लौग की सराहना की है, उसके लिये तहे-दिल से आभारी हूं.आप सबका साथ हमेशा इसी प्रकार चाहूंगी..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंखुद ही चलके पर्व सारे आते अपने गाँव तक।
जवाब देंहटाएंहो गए हम आधुनिक क्या वास्ता त्योहार से।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
samay ke sath nahi chaloge to pichhe rah jaoge. if u do not move with the time u will lag behind.narayan narayan
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत में आपका स्वागत है ,आपके लेखन के लिए मेरी शुभकामनाएं ................
जवाब देंहटाएंब्लोगिंग जगत में स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंलगातार लिखते रहने के लिए शुभकामनाएं
धन्यवाद आप सब को.........
जवाब देंहटाएंvandana ji aap ka swagat hai . aap hindi sahitya me yogdaan karen . ( hindisahityamanch@gmail.com) mail kariye aagar aap ko ruchi hai toh
जवाब देंहटाएंनीशू जी मैं मैं ज़रूर हिन्दी साहित्य मंच में योगदान करना चाहूंगी.आदेश करें
जवाब देंहटाएंवंदना जी कथा-कहानियां सुनने की आदत दादी-नानी से लगती है और फिर कई कथाकार हो जाते हैं तो कई अच्छे पाठक। आपकी अभिरुचि प्रशंसनीय है। शुभकामना।
जवाब देंहटाएंआप तो ब्लाग पर ब्लाग बनाए जा रहीं हैं, इरादे क्या हैं ?
जवाब देंहटाएंBAHARHAL BADHAYI TO LE HI LIJIYE.
अरे अब और नहीं, मैं मूलत: कहानी विधा की हूं, इसलिये..ये अंतिम, संजय जी..
जवाब देंहटाएंब्लाग संसार में आपका स्वागत है। लेखन में निरंतरता बनाये रखकर हिन्दी भाषा के विकास में अपना योगदान दें।
जवाब देंहटाएंनये रचनात्मक ब्लाग शब्दकार को shabdkar@gmail.com पर रचनायें भेज सहयोग करें।
रायटोक्रेट कुमारेन्द्र