शुक्रवार, 20 मार्च 2009

आस-पास बिखरे लोग

"क्या हुआ?”

"पता नहीं"

"तो फिर आप यहां क्या कर रहे हैं?"

"जो आप कर रहे हैं"

नीली कमीज़ वाले के पूछने पर सफेद कमीज़ वाले ने बेहद रूखा पर मुंहतोड जवाब दिया था। चौरहे पर भीड दोगुनी हो गई थी। लोग अलग-अलग टोलियां बनाये खडे थे। नीली कमीज़ वाले की जिग्यासा अभी तक शांत नहीं हुई थी,सो वह कभी इस टोली कभी उस टोली में खडा हो, घटना को समझने की कोशिश कर रहा था। और अब जाके ,इतनी देर बाद उसे समझ आया कि सामने वाले घर में बहू जल मरी या मार दी गई।

’अरे साहब!घर के लोगों ने खुद ही जला दिया, और अब नाटक फैला रहे हैंकि बहू खुद ही जल मरी।’

’ये तो बडी बुरी बात है। यहां इतनी बडी दुर्घटना हो गई और आप सब खडे-खडे तमाशा देख रहे हैं।’ नीली कमीज़ वाला अपनी पेंट ऊपर चढाते हुए बोला।

’हम सब तो तमाशा देख रहे हैं,आप ही कुछ क्यों नहीं करते?’

’मुझे तो पूरी घटना ही नहीं मालूम थी।’

’अब तो मालूम हो गई? अब कुछ करिये।’

’अरे नहीं साहब, ये विवाद का वक्त नहीं है। इस केस पर विचार करना चाहिये। ’

बात बिगडती देख नीली कमीज़ वाला खिसिया कर फिर अपनी पेंट ऊपर चढाने लगा।

’पहले अपनी पेंट तो सम्भाल लो, फिर केस सम्भालना।’ ज़ोरदार ठहाका हवा में तैर गया। नीली कमीज़ वाला वहां से खिसक गया था।

’यार वो वाली फिल्म देखी उसमें भी सास बहू को बडा दुख देती थी।’

’मैं तो ऐसी रोनी फिल्में देखता ही नहीं। क्या फ़ायदा?’

’और कौंमेडी फ़िल्म्स देखने से फ़ायदा है?’ नीली कमीज़ वाला था। लेकिन उसके सवाल का जवाब देना किसी ने ज़रूरी नहीं समझा।

’ देख यार वो गुलाबी सूट वाली लडकी.....’ ’हां यार.......बडी सुन्दर है..... चल॥ उसके पास से निकलते हैं॥’

’जनाब ये तो ठीक बात नहीं...पहली बात तो यहां बहू जला दी गई, दूसरी ये कि आपलोग मामले की गंभीरता को समझने की बजाय लड्की को छेडने का प्लान बना रहे हैं...कोई आपकी बहन को ऐसा ही कहे तो?’

’कौन स्साला मेरी बहन तक पहुंच रहा है? लडके ने पलटकर देखा तो नीली कमीज़ वाला अपनी बात कहने के बाद अब उसकी गंभीरता समझ रहा था, दूसरे लडके बीच-बचाव ना करते तो शायद बुरी तरह पिट जाता नीली कमीज़ वाला।

सामने वाले घर से ज़ोर-ज़ोर से रोने की आवाज़ें आने लगीं थीं, पुलिस के दो सिपाही आ रहे थे, शायद इसीलिये। भीड फिर तितर-बितर हो गई थी। लोगबाग सिपाहियों के पीछे-पीछे उस घर की बाउन्ड्री में घुस गये थे। बाकी तमाशबीन घर के बाहर ही भीड लगाके खडे थे। चौरहे पर अब इक्के-दुक्के लोग ही घूम रहे थे।

’बडा बुरा हुआ साहब! और लोगों को तो देखो, कुछ करते ही नहीं। ’

अरे श्रीमान जी यदि मैं इस मोहल्ले में रहता होता, तो इन लोगों को बचने न देता। पता नहीं इस मोहल्ले के लोग कैसे डरपोक हैं...कैसे सब देख-सुन रहे हैं, और चुप हैं।’

’लो भला!! देख तो आपके साथ ही रहे हैं। जितना आपको मालूम है, उतना ही हमें भी... घटना कोई सबके सामने तो हुई नहीं॥ कयास हैं केवल....’

’घटना का पता कैसे लगा? मतलब कब हुई...??मुझे तो कुछ खास नहीं मालूम, लेकिन जब शोर उठा उस वक्त मैं यहीं अपने घर के बाहर ही था। सामने वाले घर में तेज़ रेडियो बज रहा था।रोने की आवाज़ें सुनाई दीं, तो उसी घर के छुटके बच्चे से जो बाहर ही था, पूछा तो बोला कि छोटी भाभी जल के मर गईं। कमरे में बंद हैं। मेरे पूछने पर कि कब से बंद हैं, बोला दस-पन्द्रह मिनट से। अब साहब! दस-पन्द्रह मिनट में तो आदमी पूरी तरह जल भी नहीं पायेगा, उन्होंने मरा हुआ कैसे डिक्लेयर कर दिया?’

’अरे वाह!! भई कमाल की जानकारी है आपके पास तो!!!’ बताने वाला घबरा गया था।

दोनों सिपाही बाहर आ गये थे, और अब मोहल्ले वालों से पूछताछ कर रहे थे।

’क्यों भैये...तुमने लडकी के रोने-चिल्लाने की आवाज़ें तो सुनीं होंगीं?’

’ऐं.....कहां....मैं तो आज उठा ही बहुत देर से हूं।’

’क्यों भाई साहब, आप तो ऊपर ही रहते हैं, आप ने तो ज़रूर सुनी होंगीं।"

’मैं.........मैंने कहां सुनी........मैं तो अभी-अभी बाहर से लौटा हूं।’

’श्रीमान जी, आप को तो बडी अच्छी जानकारी है, आप ही उन पुलिस वालों को कुछ क्यों नहीं बताते?’

’मैं?? अरे सब सुना-सुनाया है, मैने कुछ देखा थोडे ही है...’ और वे वहां से खिसक गये थे। और अब धीरे-धीरे सारे लोग खिसकने लगे थे। पता नहीं कब कौन पुलिस की चपेट में आ जाये......!!! पुलिस वाले भी खानापूर्ती के लिये ऊट्पटांग बयान दर्ज़ कर वापस चले गये थे।

पोस्ट्मार्टम हुआ, रिपोर्ट आत्महत्या सिद्ध कर रही थी। और लोग अपने-अपने घरों में ज़ोर-शोर से कहते नज़र आ रहे थे कि ये हत्या है, लेकिन बाहर किसी के पूछने पर तत्काल अपनी बात से मुकर जाते, पुलिसिया झंझटों से बचने के लिये।

और एक महत्वपूर्ण केस दब गया था, उचित जानकारी के अभाव में.....।

3 टिप्‍पणियां:

  1. रुचिकर और सार्थक लेखन है | भाषा शैली सहज | अपने ब्लॉग पर चिट्ठाजगत कि तुरन्त छापो बटन लगायें और पोस्ट प्रकाशित करने के बाद उस पर क्लिक करें | इससे आपकी नई प्रविष्टि तुंरत चिठाजगत पर दिखेगी | प्रोफाइल में अपना ईमेल पता दें तो अच्छा रहेगा |

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  2. आपकी सलाहों पर तुरन्त अमल करूंगी.धन्यवाद.

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